विनेश फोगाटची भावनिक पोस्ट , ‘ त्या ‘ दिवशी महिला खेळाडू शेतात लपत होत्या अन..

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भाजपचे खासदार आणि भारतीय कुस्तीपटू महासंघाचे अध्यक्ष ब्रिजभूषण शरण सिंह यांच्या विरोधात लैंगिक अत्याचाराचे आरोप करत महिला कुस्तीपटूंनी सुरू केलेल्या आंदोलनाला मोठ्या प्रमाणात प्रतिसाद मिळताना दिसून येत आहे. अनेक नामांकित सेलिब्रिटींनी देखील या आंदोलनाला पाठिंबा दर्शवलेला असून सचिन तेंडुलकर, अक्षय कुमार यांच्यासोबतच स्मृती इराणी आणि कंगना राणावत यांनी मात्र अपेक्षेप्रमाणे चुप्पी साधलेली आहे. विनेश फोगाट हिने फेसबुकवर एक पोस्ट शेअर केलेली असून तिने या मेडलचे विसर्जन गंगा नदीत आम्ही का करणार होतो हे स्पष्ट केलेले आहे. ताज्या माहितीनुसार शेतकरी नेते नरेश टिकैत यांनी खेळाडूंची समजूत घातलेली असून पाच दिवस वाट पाहण्याचा सल्ला दिलेला आहे त्यानंतर या खेळाडूंनी ही पदके विसर्जित न करण्याचा निर्णय घेतलेला आहे

काय आहे विनेश फोगाटची पोस्ट ?

28 मई को जो हुआ वह आप सबने देखा. पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया. हमें कितनी बर्बरता से गिरफ़्तार किया. हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे. हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस नहस कर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफआईआर दर्ज कर दी गई. क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय माँगकर कोई अपराध कर दिया है. पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है, जबकि उत्पीड़क खुली सभाओं में हमारे ऊपर फबतियाँ कस रहा है. टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देनी वाली अपनी घटनाओं को क़बूल करके उनको ठहाकों में तब्दील कर दे रहा है. यहाँ तक कि पास्को एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कह रहा है. हम महिला पहलवान अंदर से इतना ऐसा महसूस कर रही हैं कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं है. हमें वे पल याद आ रहे हैं जब हमने ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे.अब लग रहा है कि क्यों जीते थे. क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करे. हमें घसीटे और फिर हमें ही अपराधी बना दे.

कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं. तंत्र को पकड़ना उत्पीड़क को चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना ख़त्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है.अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है. इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी, लेकिन अपने आत्म सम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना.

यह सवाल आया कि किसे लौटाएँ. हमारी राष्ट्रपति को, जो खुद एक महिला हैं. मन ने ना कहा, क्योंकि वह हमसे सिर्फ़ 2 किलोमीटर बैठी सिर्फ़ देखती रहीं, लेकिन कुछ भी बोली नहीं. हमारे प्रधानमंत्री को, जो हमें अपने घर की बेटियाँ बताते थे. मन नहीं माना, क्योंकि उन्होंने एक बार भी अपने घर की बेटियों की सुध – बुध नहीं ली. बल्कि नयी संसद के उद्घाटन में हमारे उत्पीड़क को बुलाया और वह तेज सफ़ेदी वाली चमकदार कपड़ों में फ़ोटो खिंचवा रहा था. उसकी सफ़ेदी हमें चुभ रही थी. मानो कह रही हो कि मैं ही तंत्र हूँ.

इस चमकदार तंत्र में हमारी जगह कहाँ हैं, भारत के बेटियों की जगह कहाँ हैं. क्या हम सिर्फ़ नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई हैं. ये मेडल अब हमें नहीं चाहिए क्योंकि इन्हें पहनाकर हमें मुखौटा बनाकर सिर्फ़ अपना प्रचार करता है यह तेज सफ़ेदी वाला तंत्र. और फिर हमारा शोषण करता है. हम उस शोषण के ख़िलाफ़ बोलें तो हमें जेल में डालने की तैयारी कर लेता है.

इन मेडलों को हम गंगा में बहाने जा रहे हैं, क्योंकि वह गंगा माँ हैं.. जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत कर इन मेडलों को हासिल किया था. ये मेडल सारे देश के लिए ही पवित्र हैं और पवित्र मेडल को रखने की सही जगह पवित्र माँ गंगा ही हो सकती है, न कि हमें मुखौटा बना फ़ायदा लेने के बाद हमारे उत्पीड़क के साथ खड़ा हो जाने वाला हमारा अपवित्र तंत्र … मेडल हमारी जान हैं, हमारी आत्मा हैं. इनके गंगा में बह जाने के बाद हमारे जीने का भी कोई मतलब रह नहीं जाएगा. इसलिए हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएँगे. इंडिया गेट हमारे उन शहीदों की जगह है जिन्होंने देश के लिए अपनी देह त्याग दी. हम उनके जीतने पवित्र तो नहीं हैं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलते वक्त हमारी भावना भी उन सैनिकों जैसी ही थी.

अपवित्र तंत्र अपना काम कर रहा है और हम अपना काम कर रहे हैं. अब लोक को सोचना होगा कि वह अपनी इन बेटियों के साथ खड़े हैं या इन बेटियों का उत्पीड़न करने वाले उस तेज सफ़ेदी वाले तंत्र के साथ. आज शाम 6 बजे हम हरिद्वार में अपने मेडल गंगा में प्रवाहित कर देंगे. इस महान देश के हम सदा आभारी रहेंगे.


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